सामुदायिक ग्रामीण विकास /
सिंह, बैजनाथ Singh, Baijnath
सामुदायिक ग्रामीण विकास / Samudayak gramin vikash बैजनाथ सिंह - New Delhi : National Books Trust, 2011. - 165 p.
यह पुस्तक गाँवों में रहने वालों में स्वावलंबन, स्वाभिमान, और सतत परिश्रम की भावना जागृत करने का प्रयास करती है | खेती के साथ साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, श्रमदान, कुटीर उद्योग] और आय के अन्य साधन किस तरह के आदर्श गाँव की परिकल्पना को साकार कर सकते है, इस तथ्य को लेखक अपने अनुभवों के साथ प्रस्तुत कर रहे है |
Rural sociology
Rural - sociological -development
Villages
307.72 / SIN-S
सामुदायिक ग्रामीण विकास / Samudayak gramin vikash बैजनाथ सिंह - New Delhi : National Books Trust, 2011. - 165 p.
यह पुस्तक गाँवों में रहने वालों में स्वावलंबन, स्वाभिमान, और सतत परिश्रम की भावना जागृत करने का प्रयास करती है | खेती के साथ साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, श्रमदान, कुटीर उद्योग] और आय के अन्य साधन किस तरह के आदर्श गाँव की परिकल्पना को साकार कर सकते है, इस तथ्य को लेखक अपने अनुभवों के साथ प्रस्तुत कर रहे है |
Rural sociology
Rural - sociological -development
Villages
307.72 / SIN-S