सामुदायिक ग्रामीण विकास /
Samudayak gramin vikash
बैजनाथ सिंह
- New Delhi : National Books Trust, 2011.
- 165 p.
यह पुस्तक गाँवों में रहने वालों में स्वावलंबन, स्वाभिमान, और सतत परिश्रम की भावना जागृत करने का प्रयास करती है | खेती के साथ साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, श्रमदान, कुटीर उद्योग] और आय के अन्य साधन किस तरह के आदर्श गाँव की परिकल्पना को साकार कर सकते है, इस तथ्य को लेखक अपने अनुभवों के साथ प्रस्तुत कर रहे है |